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क्या कहूं तुम्हें

सुनो क्या कहूं तुम्हें कलम किताब या कहानी तुमसे शुरू जो हुईं मेरी जबानी बड़ा आशिक समझता था खुद को में भी क्या निभा पा रहा हूं अपनी जुबां की दास्तानी लोग कहते हैं की मोहब्बत चीज़ बनी ही है बिछड़ने को गलत कर दिखाया हमने ये जुबानी सृष्टि सिंह राजपूत